यह गुरूजी द्वारा तन्त्रात्मिक और मंत्रात्मिक तरीको से किया जानेवाला महा यज्ञ है। आप इस शक्तिशाली अनुष्ठान में भाग ले सकते हैं। इच्छाओं की पूर्ति होना ( मनोकामना सिद्धि ), रोगों का इलाज ( रोग मुक्ति ), ऋण से मुक्त ( ऋण मुक्ति ), मौद्रिक लाभ ( लक्ष्मी प्राप्ति ) और व्यापार में सुधार ( व्यापार वृद्धि ) इस अनुष्ठान के लाभों की गणना में आते हैं। क्योंकि यह सबसे अधिक महत्वपूर्ण यज्ञ है, इसके लिए अग्रिम आरक्षण अत्यन्त आवश्यक है। एक जोड़ी ( कोई भी दो व्यक्ति ) के लिए इस यज्ञ का शुल्क है : रु २१,०००/- भारतीयों के लिए और रु ४०,०००/- प्रवासी भारतीयों और विदेशियों के लिए ( भोजन एवं आवास शुल्क सम्मिलित )
परंपरागत रूप से, शिव भगवान् की पूजा के लिया चिता भस्म का प्रयोग अनिवार्य है और यह युगों से इसका अपना ही आध्यात्मिक अर्थ और महत्व है। मुख्यतः, उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर मे, जहाँ महाकाल ने जन्म लिया और मृत्यु काल तक शासन करते रहे, उन्हे चिता भस्म की भेट चढ़ाई जाती है। परन्तु अज कल मह्कालेश्वर मंदिर के पंडित, जिन्हे इस बात का और इसके महत्व का ज्ञान नहीं है, वे चिता भस्म की जगह गोबर की राख का प्रयोग करते हैं। यह असीम दुःख व अपमानजनक बात है। शिव रात्रि (७ मार्च ) की पवित्र रात्रि से, श्री कापालिक महाकाल अपने सिंहस्थ शिविर मे दिन मे दो बार चिता भस्म से भगवान् शिव की आरती कर रहे हैं। आप गुरूजी के अनुबध से परंपरागत पद्धति से स्वयं यह अभिषेक कर सकते हैं। इस के लिए शुल्क है : भारतीयों के लिए रु ३००/- और प्रवासी भारतीयों और विदेशियों के लिए रु १०००/-
कुम्भ मेला एक विशाल प्रक्षालन महोत्सव है जो १२ वर्षों मे एक बार हरिद्वार, प्रयाग ( अल्लाहाबाद ), नासिक और उज्जैन मे से किसी एक स्थान पर असीम आडम्बर के साथ लगाया जाता है। उजैन में होनेवाले कुम्भ मेले को सिंहस्थ कुम्भ महापर्व के नाम से जाना जाता है। पुराणों के अनुसार, उज्जैन और उसमे से हो कर बहनेवाली क्षिप्रा नदी, दोनों का धार्मिक साधना एवं आशीर्वाद की दृष्टि से अत्यन्त महत्त्व है। क्षप्रा नदी तन व मन की पवित्रता, इंद्रिय-निग्रह, स्पष्टता का चिह्न है। क्षिप्रा नदी के तट पर अनेक हिन्दू मंदिर हैं। आप सिंहस्थ २०१६ के दौरान गुरूजी समेत इस पवित्र नदी में स्नान करने का सौभाग्य प्राप्त कर सकते हैं।
हर संध्याकाल तेल के दीयों से क्षिप्रा नदी की आरती होती है। हजारों छोटे तेल के दीये नदी मे फूलों से सजाकर और पातों पर रख कर बहाए जाते हैं। ऐसा माना जाता है की उत्तर की तरफ बहने वाली क्षिप्रा नदी यह सब भेट हिमालय पहुंचकर भगवान् शिव को जा कर चढ़ाती है। आप गुरूजी के साथ शामिल हो कर क्षिप्रा नदी की आरती कर सकते हैं।
आप पूर्व नियोजित भेंट द्वारा गुरूजी से मिल कर अपनी समस्या और आध्यात्मिक प्रगति मे बाधाओं के विषय में चर्चा कर सकते हैं। आप नित्य गुरुजी के दर्शन कर सकते है। जबकि सामान्य जन के लिए दर्शन निःशुल्क है,व्यक्तिगत दर्शन भारतीयों के लिए रु १०,०००/- अथवा अनिवासी भारतीयों और विदेशियों के लिए रु ३०,०००/- प्रति दिन है।
आप पूर्व नियुक्ति के साथ गुरु जी से दीक्षा ले सकते हैं। दीक्षा नियमित अंतराल पर गुरूजी के दर्शन के उपरान्त प्रचायों में दी जाती है। दीक्षा के लिए शुल्क उद्देश्य और जरूरत की दिवस - संख्या पर निर्भर करता है और यह व्यक्ति पर निर्भर करता है की वह किस स्तर पर है। दीक्षा की अपेक्षा रखनेवालों से निवेदन है की वे सुबह-सुबह गुरूजी के दर्शन करें क्योंकि दीक्षा प्रदान करने का समय गुरूजी द्वारा निर्धारित है। दीक्षा प्राप्ति का न्यूनतम शुल्क भारतीयों के लिए रु २०,०००/- है तथा प्रवासी भारतीय व विदेशियों के लिए रु १,००,०००/- है।
गुरूजी के साथ आप साधना कर सकते है और इसमे करीब ३ हफ्तों का समय लगता है। साधना की दिवस - संख्या गुरूजी निर्धारित करते हैं क्योंकि यह व्यक्ति-विशेष पर निर्भर करता है की वह किस स्तर पर है। अग्रिम श्रेणी में साधकों को कम से कम ४ - ५ दिन लगते ही हैं।